Thursday, April 23, 2009

परमात्मा की मित्रता

परमात्मा की मित्रता :------------------------------------------------------------------------ओउम् विष्णो: कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि परस्पशे। इन्द्रस्य युज्य: सखा।
अर्थात् उस सर्वव्यापक सर्वेश्वर भगवान की सृष्टि रचना, पालन व विविध कर्मो को देखो, जिससे जीव ज्ञान प्राप्त करता है वह परमात्मा जीवात्मा का सदा मित्र है। ऋग्वेद की यह ऋचा स्पष्ट प्रकट करती है कि ईश्वर हमारा सच्चा मित्र है, परम मित्र है। मानव एक सामाजिक प्राणी है इस नाते समाज के ही प्राणी उसके मित्र होते हैं। आशय ये नहीं कि सांसारिक मित्र सच्चे नहीं होते। वह सच्चे होते हैं किन्तु सिर्फ विरले। वह सच्चे विरले मित्र भी स्थिति परिस्थितियों के परिणामस्वरूप बदल जाते हैं या बदल सकते हैं। वह अपनी सीमित शक्ति साधना से मददगार भी हो सकते हैं, किन्तु हर क्षण ईश्वर की तरह साथ नहीं रह सकते। भौतिक मित्र जो सच्चे होते हैं वह कुपथ पर जाने से रोकते हैं। बुराइयों को दूर कर अच्छाइयों की ओर ले जाते हैं। यह सत्य है, किन्तु कई बार वह पारिवारिक अथवा भौतिक विवशताओं में विवश हो जाते हैं। किन्तु यदि हमने ईश्वर को अपना मित्र मान लिया है तो वह हर क्षण हमारे साथ हैं। यह अहसास हर पल हमारे मन में जाग्रत रहेगा। यदि हम असत्य का साथ देना भी चाहेंगे तो सखा रूप में परमेश्वर हमें अवश्य रोकेंगे। ईश्वर सर्वश्रेष्ठ है, सर्वशक्तिमान है, उसकी मित्रता वाले मानव को भय नहीं हो सकता। ईश्वर से श्रेष्ठ कोई नहीं, अत: हमें ईश्वर से मित्रता करनी चाहिये। ईश्वर स्वार्थ रहित सबसे प्रेम करते हैं। अपने मित्र के सच्चे साथी होते हैं। ईश्वर के लिए असंभव कुछ भी नहीं, अपने मित्र के लिए सर्वस्व प्रदाता हैं। अधर्मी को वह अपना मित्र कदापि नहीं मानेंगे। अर्जुन धर्मशील थे, भावुक थे। ईश्वर ने उन्हें अपना मित्र माना। सिर्फ विश्वरूप के दर्शन ही नहीं कराये वरन् युद्ध में भी उनके सारथी बने। सच्चे मित्र की तरह कर्मयोग की सलाह दी। मानव ईश्वर से मित्रता कर देव बन सकता है। ईश्वर को मित्र मानकर उनकी उंगली थाम इस भवसागर से आसानी से पार उतरा जा सकता है। वह सबका कल्याण करते हैं। ऋग्वेद में लिखा है- देवो देवानाम् भव: शिव: सखा। अर्थात परमात्मा परमात्म भक्तों का कल्याणकारी मित्र होता है। हम उनसे पुन: पुन:श्च कह त्वमेव माता पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वमम् देव देव: हम सभी को परमात्मा को अपना मित्र अवश्य बनाना चाहिए।------------------------पंकज तिवारी सहज

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