Wednesday, April 1, 2009

यह कैसा न्याय ?

आखिर वरुण गाँधी का कसूर या अपराध क्या था ?जो निर्वाचन आयोग ने उनके खिलाफ इतना सक्रियहो गया पता नही कितने ऐसे लोग है जिनके खिलाफ आयोग के कानो पर जू तक नही रेंगती । आयोग के अलावा मायावती सरकार ने वरुण गाँधी के खिलाफ इतनी तत्परता दिखाते हुए उनके ऊपर रास्ट्रीय सुरक्षा कानून (रा.सु.का।) लगा दिया इतना बड़ा अपराध तो वरुण गाँधी ने नही किया था किउनके खिलाफ रासुका लगाया जाए । माया सरकार में पता नही कितने अपराधी प्रवृति के लोग है जिनके हाथ में सत्ता कि बागडोर है ,जो कल अपराधी थे वे आज सांसद और विधायक बन कर हमारे यहाँ कानून का निर्माण कर रहे है जिनको कल तक पुलिस खोज रही थी उन्हें आज पुलिस सुरक्षा प्रदान कर रही है ,अर्थात जिनके ऊपर रासुका लगना चाहिए वे आज शासन चला रहे है और जिनको शासन चलाना चाहिए वे जेल जा रहे । वह रे चुनाव आयोग और माया सरकार ।
आखिर वरुण गाँधी ने क्या कहा था वे सिर्फ़ हिन्दुओ की दीनदशा देखकर उनमे सिर्फ़ साहस भरने तथा उन्हें एहसास दिलाने का सिर्फ़ प्रयास किया था की वे (हिंदू) अकेले नही है बल्कि उनके साथ एक युवा गाँधी परिवार का वंसज हिंदुत्व पर स्वाभिमान ह्रदय में धारण किए हुए उनके(हिन्दुओ) के साथ खड़ा है।
वरुण गाँधी के प्रति भारतीय सेकुलर सत्ता का जो व्यवहार रहा है वह उसके अंतर्मन के हिंदुद्वेषी चरित्र को उद्घाटित करता है ,जो निर्वाचन आयोग शहाबुद्दीन,लालू यादव,आजम खान ,शिबू शोरेन ,मुख्तार अंसारी,आदि जैसे तमाम आरोपियों तथा जाती विशेष के विरुद्ध विषवमन करने वाले लोगो के बारे में कभी इतना सक्रिय नही हुआ आखिर वरुण गाँधी से उसको इतना घृणा क्यो हो गई ?क्या चुनाव आयोग को यह नही दिखता की कोयम्बतूर बम धमाके का मुख्य आरोपी मदनी न सिर्फ़ जेल में रह चुनाव लड़ा बल्कि आज वह केरल की चुनावी राजनीती का सञ्चालन करता भी है । फारुख अब्दुल्ला ने सार्वजनिक बयान दिया था की अगर अफजल को फांसी दी गयी तो सरे मुल्क में आग लग जायेगी ,अंतुले रहमान ने तो कसाब के मामले में हमारे भारतीय शहीदों का अपमान किया ,पाकिस्तानी भाषा बोली न तो उनसे मंत्री पड़ वापस लिया गया और न ही उस समय चुनाव आयोग ने कुछ बोला और आज वाही अंतुले चुनाव लड़ रहे है । क्या उस समय राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी बढेरा की कांग्रेस ने गीता और बाइबिल नही पढ़ी थी और नही अपने राजधर्म का किसी भारतीय विद्वान् से ज्ञान प्राप्त किया ।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह ने बाटला हाउस प्रकरण में शहीद मोहन चन्द्र शर्मा का अपमान कर आतंकियों के अदालती खर्च के लिए पैसा देने वाले उपकुलपति का समर्थन किया और उन्ही अर्जुन सिंह को बाद में देश के अन्य उपकुलपति चुनने वाली समिति का संयोजक बना दिया गया । वाह रे भारतीय न्याय प्रक्रिया -एसे सेकुलरों और उसी की रंग में रंगे चुनाव आयोग ने वरुण गाँधी के बारे में भाजपा को यह सलाह देने की जरुरत समझी की पार्टी वरुण गाँधी को टिकट न दे -हमारे चुनाव आयोग से और मायावती सरकार से कोई पूछने वाला नही है की अगर सुखराम,लालू प्रसाद,मुख्तार अंसारी ,शिबूसोरें,साधू यादव,अमरमणि त्रिपाठी ,राजा भइया ,धनंजय सिंह,उमाकांत,आदि अगर चुनाव लड़ सकते है तो वरुण गाँधी क्यों नही ?
वरुण गाँधी ही नेहरू खानदान में ऐसे पहले व्यक्ति हुए है जिन्होंने हिंदू धर्म के प्रति अपने स्वाभिमान को सार्वजनिक रूप से प्रकट किया है । अभी तक भारतीय राजनीती में गाँधी-नेहरू परिवार हिंदुत्व के समर्थको पर कटु आघात करने के लिए जन जाता है । पंडित नेहरू संघ के कट्टर विरोधी थे परन्तु उन्ही नेहरू के प्रपौत्र वरुण गाँधी ने आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा के साथ खुलकर खड़े है ,तो यह हिंदुत्व समर्थको के लिए भारतीय राजनीती में एक मील का पत्थर माना जाना चाहिए । वरुण गाँधी के सामान ही गाँधी-नेहरू वंशज के उत्तराधिकारी है राहुल गाँधी ,क्या कोई राहुल से यह अपेक्षा कर सकता है की वह हिंदू धर्म ,सभ्यता एवं समर्थन में एक शब्द भी कह सकते है ? मूल बात तो यह है की उन्हें हिंदू धर्म और संस्कृति की जानकारी होगी इसमे भी संदेह है ।
इस प्रकार द्वेष बस और वरुण को बदनाम कराने के लिए चुनाव आयोग और माया सरकार मिल कर वरुण गाँधी पर रासुका लगा दिया यह कितना बड़ा अन्याय है की मूल सीडी भी वरुण गाँधी को आन्ही दिखाई गयी जिसके आधार पर उन पर रासुका लगा अरे कम से कम उनकों सफाई देने के लिए समय तो देना चाहिए----------------------वाह रे चुनाव आयोग -----------------------पंकज तिवारी"सहज"

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